मानसरोवर में 90 और अमरनाथ में 45 किमी की चढ़ाई, 12 साल में एक बार होने वाली नंदा देवी यात्रा में 280 किमी का सफर 3 हफ्ते में
नेशनल लॉकडाउन के कारण अमरनाथ यात्रा से लेकर कैलाश मानसरोवर तक की यात्राओं पर संशय के बादल हैं। केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं लेकिन अभी वहां जाने पर रोक है। अमरनाथ, केदारनाथ और मानसरोवर तीनों ही दुर्गम यात्राएं मानी जाती हैं। यहां पहुंचना आसान नहीं है। पर्वतों के खतरों से भरे रास्तों से गुजरना होता …
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बुद्ध जयंती 7 को, कभी भी खुद को दूसरों से कम नहीं समझना चाहिए
गुरुवार, 7 मई को भगवान बुद्ध की जयंती है। इस अवसर पर जानिए बुद्ध से जुड़ा एक ऐसा प्रसंग, जिसका संदेश यह है कि हमें स्वयं को दूसरों से कम नहीं समझना चाहिए, हर व्यक्ति अमूल्य है। सभी की योग्यताएं अलग-अलग हैं। प्रसंग के अनुसार महात्मा बुद्ध अलग-अलग गांवों में भ्रमण करते थे। इसी दौरान वे एक गांव में ठह…
आज 3 राजयोगों में होगा होलिका दहन, ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति में समृद्धि और उन्नति का संकेत
रंगों का त्योहार होली इस बार मंगलवार 10 मार्च को मनेगा। इससे एक दिन पहले 9 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार होलिका दहन पर इस बार भद्रा दोष बाधक नहीं होगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रात को करीब 11 बजे तक होने से प्रदोष काल में होलिका दहन हो सकेगा। वहीं पूर्व…
जीवनसंवाद: साथ-साथ चलना!
सबके साथ चलना, एक-दूसरे का साथ देना. एक-दूसरे के काम आना, परस्पर निर्भरता. यह मनुष्य का सहज गुण है. एक-दूसरे पर निर्भर होकर हम कमजोर नहीं बनते. बल्कि कहीं बेहतर मनुष्य होने की संभावना हमारे भीतर होती है. दूसरों की देखा-देखी, आत्मनिर्भर बनने की अधूरी अवैज्ञानिक चाहत ने हमें मनुष्य के रूप में एक-दूसर…
जीवनसंवाद: अपने दर्द को आवाज देना
हम मुश्किल वक्‍त में दूसरों के साथ खड़े होते हैं. दोस्‍तों का साथ बखूबी निभाते हैं. अपनों की पीड़ा/दर्द को समझने की कोशिश में लगे रहते हैं. यह सब हमारे संवेदनशील होने का प्रमाण है. लेकिन ऐसा करते हुए दुनिया के लिए अपने को आगे रखते हुए कभी-कभी हम खुद को पीछे धकेल देते हैं. अपनी पीड़ा, दर्द और गुस्से…
जीवनसंवाद : अपमान के आगे
जीवन में प्रेम, स्‍नेह और आदर की चाहत सहज, स्‍वाभाविक है. कौन नहीं चाहता यह सब मिले. यही तो हमारे जीवन की धुरी है. शक्ति है. संकट में हम इसके सहारे ही टिके होते हैं. जब कभी मुश्किल वक्‍त आता है तो हमारा सहारा कौन होता है. कौन है जो हमें बहती नदी में किनारे ले आता है. कौन है जो उफनते समंदर में हमें …